Recommended For You

About the Author: Aayiye Sikhte Hai

20 Comments

  1. महफ़िल मैं कुछ तो सुनाना पड़ता हैं,
    गम छुपाकर मुस्कुराना पड़ता हैं,
    कभी उनके हम थे दोस्त,
    आजकल उन्हें याद दिलाना पड़ता हैं।

Leave a Reply